जीवन नो अभिगम हुं खोळी रह्यो छु , उषामां हुं आशा झबोळी रह्यो छु.
मजा रागमां छे अगर त्यागमां छे,
ऐ प्रक्ष्नो ना उतर उकेली रह्यो छु.
गगनमां ऊडुं के क्षितिजो ओळंगुं?
नकामा विचारो वागोळी रह्यो छु.
हुं स्वप्नो नी वहेती सरीता मां डुबु,
कीचड मां ज काया ने रोळी रह्यो छु,
आ अमूतना सागर कीनारे ऊभो छु,
भुली भान हुं विष घोळी रह्यो छु.
कीकी ने घणांये कणाओ खुंचे छे,
नीकळतां नथी आख चोळी रह्यो छु.
जीवन जीववानो खरो मार्ग आ छे,
ह्रदय रामरस मां हुं बोऴी रह्यो छु.
''फुलो वेराणा चोकमां''
{ भक्त कवि श्री त्रापजकर दादा }
संपादक :-राजुभाई भट्ट
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