Thursday, 16 January 2020

''फुलो वेराणा चोकमां''

जीवन नो अभिगम हुं खोळी रह्यो छु ,  उषामां हुं आशा झबोळी  रह्यो   छु.

मजा रागमां छे अगर त्यागमां छे,
ऐ प्रक्ष्नो ना उतर उकेली रह्यो छु.

गगनमां ऊडुं के क्षितिजो ओळंगुं?
नकामा विचारो वागोळी रह्यो छु.

हुं स्वप्नो नी वहेती सरीता मां डुबु,
कीचड मां ज काया ने रोळी रह्यो छु,

आ अमूतना सागर कीनारे ऊभो छु,
भुली  भान  हुं  विष  घोळी  रह्यो छु.

कीकी  ने  घणांये  कणाओ  खुंचे  छे,
नीकळतां नथी आख चोळी रह्यो छु.

जीवन जीववानो खरो मार्ग आ छे,
ह्रदय रामरस मां हुं बोऴी रह्यो छु.


     
  ''फुलो वेराणा चोकमां''


{ भक्त कवि श्री त्रापजकर दादा }


संपादक :-राजुभाई भट्ट









No comments:

Post a Comment

ઉપાલંભ "ફુલો વેરાણા ચોકમાં"

                【 ગઝલ 】 સમય ને સંયોગ ને આધીન પણ થાવું પડે ; હોય અનહદ પ્રેમ તોય અલગ પણ થાવું પડે . આનંદ કે ઉલ્લાસ કાયમ કોઇના ટકતા નથી; એ ...